तुम सौंप दोगी जिस दिनउसे अपना समान तकवह तुम्हारे अंतःदेश की एक एक अँतड़ियाँहिला हिलाकर देखेगा‘वहाँ कोई और तो नहीं!!’
हिंदी समय में आरती की रचनाएँ